Randheer Jangra
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मैं कौन हूँ ये पूछता है मेरा अक्स अक्सर मुझसे ! मेरा जवाब सिर्फ़ ये कि तेरी बिसात तो सिर्फ़ जिस्म तक है ए- साये, तू कायम है सिर्फ रौशनी में ! "मैं एक विचार हूँ , मेरा सफर है ज़हन की परतों में, फिर न धुप और ना अँधेरे ही मुझे मिटा सकते हैं" ! "सदियों तक घूमता रहा हूँ मैं, पन्नों दर पन्ने रंगे जाते... Read more

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पिता जी ने बतलाया , एक रहस्य जीवन का ! तेज़ दौड़ता हिरन , फिर भी, सिंह ही जीता , पाठ पढ़ाया जीवन का !

आरज़ू ऐ- दिल मुक्कमल हुए, जो मिली नज़र, मुस्कुराने के बाद ! खंज़र से भी कातिल हैं वो, भुला न पाए उसे, दिल लगाने के बाद ! रणधीर " मुसाफिर"


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