कुछ न कुछ किरदार गर जीना है जरूरी,
तो चलो कुछ नीदें गंवायें,और इक तसल्ली का किरदार चुना जाय।
तो क्या हुआ अभी इक किरदार ने हमें है चुन लिया,
चलो वक्त को पलटें, और इक नया किरदार बुना जाय।
तेरे नजरों में हम नादान हैं तो चलो नादान ही सही,
हमें भी खुद की काबिलियत दिखानी नहीं तुमको ।
बस दर्द को ही तराशा है हर शायर की कलम ने,
खुशियों ने तो चौखट देखी ही नहीं उनकी ।
उड़ूं मैं पंछी सी उन्मुक्त गगन में,
कि दुनिया की मुझको परवाह नहीं अब।
कुछ ही लम्हों में तजुर्बा मिला है अर्सों का,
फिर बाकी की जिन्दगी बासी सी गुजरे तो क्या हर्ज है
अब तू इतने भी इम्तहान मत ले गालिब
हमने तुझसे दोस्ती की थी, एकतरफा इश्क नहीं ।