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ये सुन्दर जहान ललक रही थी उड़ने को तत्पर हुई और पाया कई अनदेखे बंधन जकड़े हुए है उसे ये सुन्दर जहान ललक रही थी उड़ने को तत्पर हुई और पाया कई अनदेखे बंधन जकड़े ह...
छंदमुक्त कविता...! छंदमुक्त कविता...!