I'm Lokriti and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsकाश! अपने से इस शहर में अपना भी एक घर होता जहां मैं पहर-दोपहर चैन से सोता चाहत नहीं मुझे किसी बड़े आशियाने की बस कोशिश है छोटा सा घरौंदा बनाने की ।
न जाने ये कोई सजा है या किसी की बद्दुआ जिससे बिना बात किये जी नहीं सकते थे एक पल भी आज उसी के सामने है लबों पे ताला लगा हुआ ।
हमारी कमजोरियां भी वो खूब जानते हैं शायद इसलिए हर बार वही गलती करके माफी और सुधरने का एक मौका मांगते हैं।
बर्फ पानी बनकर पिघल गए आज परवाने के साथ-साथ शमां भी जल गए हम दोनों खड़े रह गए वहीं पर और न जाने कब वक़्त और हालात बदल गए।
हम उनकी दोस्ती को भी प्यार समझते रहे और वो हमारे प्यार को भी प्यार समझ न सकें उन्हें पहली नज़र में ही देख के लगा कि वही मूरत हैं इस दिल की पर हम चाह कर भी उनके दिल में रह न सके।
हमने लोगों को कुछ ऐसे अपनी गलतियों को छिपाते देखा कि धूल लगी थी पैरों में और चप्पल की जगह चश्मा बदलते देखा।