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बदलती दुनिया के परिदृश्य में बदलती हुई स्त्री की भूमिका को अबिव्यक्त करती यह रचना दुनिया बदलेगी ! बदलती दुनिया के परिदृश्य में बदलती हुई स्त्री की भूमिका को अबिव्यक्त करती यह रचन...
हवा नहीं बहती, प्रेम बहता है हवा नहीं बहती, प्रेम बहता है
ब्रह्मांड की तरह चेतना को विश्राम कहाँ जब कभी मिलती है विश्रांति खुद के कहीं होने का आभास होता ह... ब्रह्मांड की तरह चेतना को विश्राम कहाँ जब कभी मिलती है विश्रांति खुद के कहीं...
मन इक अभीप्सा मन इक लिप्सा मन इक अभीप्सा मन इक लिप्सा
इक पल में कई पल इक दिन में कई दिन इक जन्म में कई जन्म जी रहा हूँ मै इक पल में कई पल इक दिन में कई दिन इक जन्म में कई जन्म जी रहा हूँ मै
ज़ख्मों को देखो ज़रा ज़ख़्म इक सीख भी है ज़ख्मों को देखो ज़रा ज़ख़्म इक सीख भी है
जीवन पल-पल रिसता जाता है जीवन हमसे बिसराता जाता है जीवन पल-पल रिसता जाता है जीवन हमसे बिसराता जाता है
दुनिया को सुन्दर बनाए रखने की बातें हैं पांखड असल में हम सब पल-पल,दिन-दिन होते जाते खंड-खंड !! दुनिया को सुन्दर बनाए रखने की बातें हैं पांखड असल में हम सब पल-पल,दिन-दिन होत...
मेरे आसपास ही रहा तेरे होने ही भर से तो मैं कितना निश्चिन्त रहा तेरा कोई जोड़ नहीं मेरे आसपास ही रहा तेरे होने ही भर से तो मैं कितना निश्चिन्त रहा तेरा कोई जोड़ ...
जिनको ढूंढ़ने हमें गहराई में कतई नहीं जाना जब नहीं रहता कोई पुरुष,पुरुष तो नहीं रह पाती कभी कभी क... जिनको ढूंढ़ने हमें गहराई में कतई नहीं जाना जब नहीं रहता कोई पुरुष,पुरुष तो नही...