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चल रहा है उंगली थामे है ख़याल कुछ यह आज़िम ना कोई खुदा-ए-करीम इसका, ना रसूल, ना कोई वा चल रहा है उंगली थामे है ख़याल कुछ यह आज़िम ना कोई खुदा-ए-करीम इसका, ना रसूल, ना...
फिर एक अजनबी रात में डूब रहा हूँ दिन की तरह, कुछ अपने ख़यालों में गुम कुछ तेरे सवालो फिर एक अजनबी रात में डूब रहा हूँ दिन की तरह, कुछ अपने ख़यालों में गुम क...
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इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़बर मुझसा ही यह भी म... इक शोर सा है मुझमें जो खामोश बहुत है कभी फिकर मेंं रहता मेरी तो कभी रहता बेख़...
कभी कभी पुराने गीत भी बोलते हैं निराशाओं के बोझ को सीने में दबाए हुए चलते हैं, तो कभ कभी कभी पुराने गीत भी बोलते हैं निराशाओं के बोझ को सीने में दबाए हुए चलते ...
ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशनी में भी खि ला साकी थोड़ी तो और शराब ला सागर को छलकने दे जी भर के तू अभी अंजुम की रोशन...