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बेबाक़ी से रच रही हैं इतिहास चालीस पार की औरतें घर और बाज़ारों में खेत खलिहानों से संसद और सिनेमा तक उ... बेबाक़ी से रच रही हैं इतिहास चालीस पार की औरतें घर और बाज़ारों में खेत खलिहानों से...
अभी भी वहीँ पड़ा है वही तकाज़ा करना चाहती है वह सूद समेत लौटा दो चली जायेगी वह चुपचाप लेकर अपनी आन बान... अभी भी वहीँ पड़ा है वही तकाज़ा करना चाहती है वह सूद समेत लौटा दो चली जायेगी वह चुप...
तुम्हारे हिस्से में आया सजा सजाया सुथरा घर उसके हिस्से में आया पाक कौशल तुम्हारे हिस्से में आया स्वा... तुम्हारे हिस्से में आया सजा सजाया सुथरा घर उसके हिस्से में आया पाक कौशल तुम्हारे...
आदिम युग से इक्कीसवीं सदी तक स्त्री का एक भी दिन नही जिया,अतीत और वर्तमान ने एक ही दिन भारी था आदिम युग से इक्कीसवीं सदी तक स्त्री का एक भी दिन नही जिया,अतीत और वर्तमान ने एक ...