Lecturer and writer
तुम्हारी नज़रों मे दुनिया को देखूं या दुनियां को तुम्हारी नज़रों से। तुम्हारी नज़रों मे दुनिया को देखूं या दुनियां को तुम्हारी नज़रों से।
निर्दोष अभिमन्यू ही चक्रव्यूह के घेरे में क्यों कर आए। निर्दोष अभिमन्यू ही चक्रव्यूह के घेरे में क्यों कर आए।
अन्नदाता कहलाता, फिर भी स्वयं अन्न को रोता है। अन्नदाता कहलाता, फिर भी स्वयं अन्न को रोता है।
फिर भी परछाई ही क्यों कर सच्ची मानें..! उजाले ही परछाईं को पोषित करते हैं..अंधेरे नहीं फिर भी परछाई ही क्यों कर सच्ची मानें..! उजाले ही परछाईं को पोषित करते हैं..अं...
नींद भी अदना चाहिए सपनों को बुनने के लिए। नींद भी अदना चाहिए सपनों को बुनने के लिए।
माँ काग़ज़ की एक नांव बना दो सबको उसकी सैर करवाऊंगा। माँ काग़ज़ की एक नांव बना दो सबको उसकी सैर करवाऊंगा।
जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल, न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल। जाने न मेरे दिल की पीर ये बादल, न जाने क्यों बरसे नीर ये बादल।
इतना मुश्किल क्यों है.... सरल होना...!! इतना मुश्किल क्यों है.... सरल होना...!!
बारिश भी लुकाछिपी खेल रही बादलों संग बारिश भी लुकाछिपी खेल रही बादलों संग
कोरी कोरी आँखों में गिले गिले आंसू कैसे बंधाए धीर ये न्यारे खारे जासूस। कोरी कोरी आँखों में गिले गिले आंसू कैसे बंधाए धीर ये न्यारे खारे जासूस।