AUTHOR PAGALKAVI POET DARK LOVER ENGINEER PERFORMER
एक हुजूम लगा है आजादी को छूने का, हर एक परिंदा कोशिश में लगा है. एक हुजूम लगा है आजादी को छूने का, हर एक परिंदा कोशिश में लगा है.
तलब का मिल जाना मौत के आगे, जिंदगी जीने जैसी होती हैं ! तलब का मिल जाना मौत के आगे, जिंदगी जीने जैसी होती हैं !
ना कोई जादू होता ना कोई जादूगरनी होती ना वो शहर होता ना ये बर्बादी होती ! ना कोई जादू होता ना कोई जादूगरनी होती ना वो शहर होता ना ये बर्बादी होती !
इस कविता में जीवन से संघर्ष करता व्यक्ति बादलों के साथ कुछ फुरसत पल केसे बिताना चाहता है उसका वर्णन ... इस कविता में जीवन से संघर्ष करता व्यक्ति बादलों के साथ कुछ फुरसत पल केसे बिताना ...
हमने तो देखा हैं, लाशों को चार कांधे पे उठते हुए, आज कैसे एक कमजोर कांधा उसे उठा रहा हैं। हमने तो देखा हैं, लाशों को चार कांधे पे उठते हुए, आज कैसे एक कमजोर कांधा उसे ...
मत खेल प्रकृति से तू इतना... मत खेल प्रकृति से तू इतना...
सोचा आज अपने देश के एक अभिन्न शहर पर लिखुँ.जो सबसे ज्यादा बहसवाजी का हिस्सा हैं आजकल......दिलवालोक... सोचा आज अपने देश के एक अभिन्न शहर पर लिखुँ.जो सबसे ज्यादा बहसवाजी का हिस्सा हैं ...