काफ़िर कोरी किताब है... जिसे लिखना अभी बाकी है...!!
नशा उतर गया... . मगर खुमारी कम नहीं होती। नशा उतर गया... . मगर खुमारी कम नहीं होती।
उन्हें शिकायत है कि तारीफ नहीं लिखते, लिखता तो हूँ पर सच बात लिखता हूँ। उन्हें शिकायत है कि तारीफ नहीं लिखते, लिखता तो हूँ पर सच बात लिखता हूँ।
जितना भी मिला मुझे कभी कम न मिला। जितना भी मिला मुझे कभी कम न मिला।
धधकता सूरज ढल रहा है, पर खेल पुराना चल रहा है। धधकता सूरज ढल रहा है, पर खेल पुराना चल रहा है।
वक्त ने आज फिर मक्कारी की है, मेरे अपनों ने मुझसे गद्दारी की है। वक्त ने आज फिर मक्कारी की है, मेरे अपनों ने मुझसे गद्दारी की है।
जब आई मुश्किल कभी, मुल्क ने थामा दामन मेरा। जब आई मुश्किल कभी, मुल्क ने थामा दामन मेरा।
हे कृष्ण! उठाओ सुदर्शन, हे शिव! केश खोलो। हे कृष्ण! उठाओ सुदर्शन, हे शिव! केश खोलो।
बूढ़े हाथों से अपने मिट्टी के दीये बनाएं हैं, उनके बच्चों ने भी सुनहरे सपने सजाएं हैं। बूढ़े हाथों से अपने मिट्टी के दीये बनाएं हैं, उनके बच्चों ने भी सुनहरे सपने सज...
वही तो मेरे काम आया। वही तो मेरे काम आया।
छोड़ लगाव रखना समभाव होगा प्रभाव। छोड़ लगाव रखना समभाव होगा प्रभाव।