V. Aaradhyaa
Literary General
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उत्पादन से ही अनुसंधान की उत्पत्ति होती है!

भीगूँ तेरे संग , यही कहता मनभावन । नही चाहिए आज , मुझे नैनो में सावन ।।

कोई कहकर गया था कि... आना तो होगा, वो आएगा भी!

किसी भी जंग से पहले, खुद को तैयार रखना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है!

जीवन का हर लम्हा भारी है, हर पल एक नए जंग की तैयारी है!

एक बार कहा था... कि, बहुत हुआ.

 I am happy with what I have and the best things given to me. I would rather strive to increase my conviction than comfort.”

सुना भी कहा भी... पर... याद कुछ नहीं.

मुश्किल था पर सम्हल गए घर के वास्ते खुद ही जख्मों को रफू कर गए घर के वास्ते. जिंदगी है जनाब जीनी ही पड़ेगी तानों के दरिया में उतर गए घर के वास्ते.


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