हर हालात पे अपनी बात रखना
जिसने मिटाया है मुझको हाथों कि लकीरों से। उसी के मेहंदी में उभर रहे हैं हम। जिसने मिटाया है मुझको हाथों कि लकीरों से। उसी के मेहंदी में उभर रहे हैं हम।
और घर की जरुरत कहती हैं कुछ और कमाया जाए। और घर की जरुरत कहती हैं कुछ और कमाया जाए।
मैं अब तौरे- जिंदगी से थक गया, कोई आकर मेरा किरदार तो निभाओ। मैं अब तौरे- जिंदगी से थक गया, कोई आकर मेरा किरदार तो निभाओ।
जिंदगी की कोई किताब नहीं होती। जिंदगी की कोई किताब नहीं होती।
जाने वाले सब घर गए, मैं बेघर हूं इसी कोने में ठहर जाऊंगा। जाने वाले सब घर गए, मैं बेघर हूं इसी कोने में ठहर जाऊंगा।
मेरे क़ातिल के हाथों में जिसने खंजर थमाया होगा। मेरे क़ातिल के हाथों में जिसने खंजर थमाया होगा।
यूं ही नहीं होता रातों-रात कोई रहनुमा। एक चिंगारी से शहर को जलाना होता है। यूं ही नहीं होता रातों-रात कोई रहनुमा। एक चिंगारी से शहर को जलाना होता है।
तुमने तो बस पेड़ काटे, यहां परिंदो का शहर उजड़ गया। तुमने तो बस पेड़ काटे, यहां परिंदो का शहर उजड़ गया।
कि खौफ अंधेरा हो ये सोचकर भी किसी ने चराग बुझाया होगा। कि खौफ अंधेरा हो ये सोचकर भी किसी ने चराग बुझाया होगा।