फिजिसियन
Share with friendsचलो विश्राम को छोड़े नया कोई काम ही कर लें ! पड़ें हैं वर्षों से पीड़ित उनका उत्थान ही कर लें !! @ परिमल
चलो विश्राम को छोड़े नया कोई काम ही कर लें ! पड़ें हैं वर्षों से पीड़ित उनका उत्थान ही कर लें !! @ परिमल
हमें लोगों से ही जुड़कर नया कोई काम करना है ! अकेले कुछ भी न होगा सबों के साथ चलना है !! @ डॉ लक्ष्मण झा परिमल
करो तुम बात ही सबसे, उसे अपना बना लो तुम ! करो तुम प्यार की बातें, उसे खुद में छुपा लो तुम !! @ परिमल
नहीं कुछ भी यहाँ सबका, सदा रहता नहीं हर दिन ! करें क्यों हठ किसी से हम, नहीं रहता बराबर दिन !! @ परिमल
यह आकाश आज भला मौन क्यों है ? अनगिनत तारे नभ में जगमगा रहे हैं ! सब अपने में प्रकाश समेट लिया है , अपने घरों में तारे खुशियाँ मना रहे हैं !! @ परिमल
देश के हैं प्राण ,गाँवों में ही बसते , उनकी मेहनत से ,ही हम निखरते ! पहाड़, जंगल ,झील ,झरने हमारे , रक्षाकवच बनकर ,हमारे साथ रहते !! @परिमल