A student of cinema, photography reflects life, pen down characters!
प्रेम ही है जो समाज को बांधे हुए हैं। प्रेम ही सत्य है। प्रेम ही है जो समाज को बांधे हुए हैं। प्रेम ही सत्य है।
बूढ़ा आँखें बंद किये ही दूसरा हाथ आगे करता है और फिर आँखें नहीं खोलता। धूप चली जाती है,! बूढ़ा आँखें बंद किये ही दूसरा हाथ आगे करता है और फिर आँखें नहीं खोलता। धूप चली जा...
शिवांश तुमने अपना देह तो छोड़ दिया मगर मेरे दिल में अब भी तुम्हारी धड़कनें चल रही हैं, और शायद हमेशा च... शिवांश तुमने अपना देह तो छोड़ दिया मगर मेरे दिल में अब भी तुम्हारी धड़कनें चल रही ...
अमर ही है जिन्होंने दहशत के कारण अपना भेस बदल लिया था अमर ही है जिन्होंने दहशत के कारण अपना भेस बदल लिया था
"मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं "मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं