a professional chef, loves poetry
तुझे पाकर सिरहाने तुझ को तकता रहूं। तुझे पाकर सिरहाने तुझ को तकता रहूं।
बिन जख्मों के चुभन सी है जानों जिगर में मन घबराया हुआ सा आंखें कतराई सी हैं। बिन जख्मों के चुभन सी है जानों जिगर में मन घबराया हुआ सा आंखें कतराई सी हैं।
जिस घर बेटी जन्म लेती है, वहां धन वैभव सब बढ़ते हैं। जिस घर बेटी जन्म लेती है, वहां धन वैभव सब बढ़ते हैं।
कहीं अन्त है तेरे प्यार का ये साकार है नहीं, हे माँ तेरी ममता का कहीं पार है नहीं। कहीं अन्त है तेरे प्यार का ये साकार है नहीं, हे माँ तेरी ममता का कहीं पार है ...
अतीत के झरोखों की कल्पना जब भी कोई करे सामने बस वे परम स्नेही दोस्त ही सचित्र हो ! अतीत के झरोखों की कल्पना जब भी कोई करे सामने बस वे परम स्नेही दोस्त ही सचित्र...
मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण। मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण।
मैं सिसक कर भी सब के दुखड़े लिखता हूँ। मैं सिसक कर भी सब के दुखड़े लिखता हूँ।
आज वो बेवजह इल्जाम लगा रही कि जख्मी विश्वास का जिक्र कराना ही पड़ा। आज वो बेवजह इल्जाम लगा रही कि जख्मी विश्वास का जिक्र कराना ही पड़ा।
पहाड़ के रक्षक जिन्दा है विश्वास कराना होगा। पहाड़ के रक्षक जिन्दा है विश्वास कराना होगा।
कोई भूखा रहता है खाना न मिलने से, कोई भूखा रहता है पेट बढ़ जाने से... कोई भूखा रहता है खाना न मिलने से, कोई भूखा रहता है पेट बढ़ जाने से...