मैं एक चिकित्सक हूँ। साहित्य की हर विधाओं में लिखता हूँ। आपके स्नेह का आकांक्षी हूँ।
Share with friendsकौन सी उम्मीद लगायी जाये अब किसकी दीद करायी जाये।। हम दिल में ही भरते सब घुटके हमें उसकी याद न दिलायी जाये।।
साथ तेरे हर पल को गवाएँ कैसे कह अलविदा दूर तुमसे जाएँ कैसे तुम ओढ़े मायूसी की चादर प्रिये तो बता फिर हम मुस्कुराए कैसे??
तलब-ए-आराम गुनाह है मान लो वक्त कल था,आज भी है जान लो मिलता सब जहाँ में कभी न कभी पर मिले कैसे ये राहें पहचान लो।
चलो साथियों हिन्द पर जान लुटाया जाए चलो हिंदी लोगों का अरमां कमाया जाए कायर नहीं जो पीठ करें युद्ध में कभी भी हिन्द की शान में सिर काटा-कटाया जाए।।