Inactive account
Share with friendsआँखों में है स्वप्न के मोती पाने की है राह सातो रंगों से आसमान को रँगने की है चाह, लिया है संकल्प देश को विश्वगुरु बनाने का, किया है संकल्प विश्वबन्धुत्व को बढ़ाने का, कंधे से कंधा जब मिलेगा नई राहे जन्मेगी, तब खिलेगा विश्वास होगा संचार उमंगो का, आओ आत्मनिर्भर भारत का विश्व दर्शन करें, इक्कीसवी सदी के भारत का निमार्ण करें।। शिवेंद्र मिश्रा"आकाश"
जब देख लू चेहरा तेरा तो दिल को सुकूं मिल जाता है, मेरे मन के सूने कोने में सवेरे का सूरज खिल जाता हैं, कुछ नही फिर भी बहुत कुछ दिल कहने को मचला, यू ही नही मैं सहर को तेरे बिन घूमने निकल जाता हूँ।। शिवेंद्र मिश्रा"आकाश"