आत्म परिचय ----------------- मैं हूँ ब्रजेन्द्रनाथ, 1975 से टाटा स्टील का साथ। कर्मक्षेत्र जमशेदपुर, जन्मक्षेत्र गया विहार। रहता हूँ मानगो संजय पथ। सेवा निवृत्त होकर, छः साल पूर्व। साहित्य सेवा में बीतता है वक्त, दो पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित "छाँव का सुख" कहानी संग्रह, "डिवाइडर पर कॉलेज... Read more
Share with friendsचलकर ही रास्ते के पत्थरों को धूल बनाते हैं. जो नहीं चल पाते रास्ते उन्हें ही थकाते है. --ब्रजेन्द्र नाथ
राम हमारे आदर्श इसलिये होने चाहिए क्योंकि उन्होंने समावेशी समाज के निर्माण में अपनी नेतृत्व क्षमता का विकास किया. --ब्रजेन्द्र नाथ
आपके जिन कृत्यों से समाज दूषित होता है, उसे अपने आचार, व्यवहार में नहीं आने देना चाहिए. --ब्रजेन्द्र नाथ
नव वर्ष मनाना एक अवसर होता ही. संवत्सर युगाब्द 2080 का उत्सव भी इसी क्रम में देखा जाना चाहिए... --ब्रजेन्द्र नाथ
जिंदगी में छोटी - छोटी खुशियाँ स्पार्क की तरह हैं. इन स्पार्कस को समेटने सीखना ही खुशियों को खजाने में जमा करना है. --ब्रजेन्द्र नाथ