भारतीय
कब तक दूसरों की सोच पर ज़िंदगी जीओगी तुम कब तक दूसरों की सोच पर ज़िंदगी जीओगी तुम
मांग में भर लाल रंग, सजती हैं बेटियाँ नंगे पाँव मन्नतें, भी माँगती है बेटियाँ मांग में भर लाल रंग, सजती हैं बेटियाँ नंगे पाँव मन्नतें, भी माँगती है बेटियाँ
खुद में रंग भरुंगी और इतराऊँगी तेरे रंग नहीं खुद के रंग बनाऊँगी खुद में रंग भरुंगी और इतराऊँगी तेरे रंग नहीं खुद के रंग बनाऊँगी