मैं एक आशा की किरण सा चला जाता हूं मैं ओर मैं बस एक आस ओर आशा की किरण हु
कितने सुहाने दिन थे सुधा मन करता है आज फिर वही समय जीने को मिले तो कितना मजा आएगा कितने सुहाने दिन थे सुधा मन करता है आज फिर वही समय जीने को मिले तो कितना मजा आएग...
उसके बाद उस लड़की में मुझे अपने बुक में रख लिया और जब भी उसे कोई याद दिलाता है कि आज वै उसके बाद उस लड़की में मुझे अपने बुक में रख लिया और जब भी उसे कोई याद दिलाता है कि...
मेरी जीवनी मेरी जीवनी
मैडम ने ही दरवाजा खोला और उन्होंने मुझे देखते ही पहचान लिया और बोला बेटा आप यह कैसे ओर क्यू आये हो ज... मैडम ने ही दरवाजा खोला और उन्होंने मुझे देखते ही पहचान लिया और बोला बेटा आप यह क...
एक पुत्र का पिता से सम्बंधित संस्मरण जिसमें वह खुद को पिता की मौत का कसूरवार समझता था। एक पुत्र का पिता से सम्बंधित संस्मरण जिसमें वह खुद को पिता की मौत का कसूरवार समझ...
पिता के संस्मरण में लिखी सूक्ष्म कथा पिता के संस्मरण में लिखी सूक्ष्म कथा
वो बेटा जो बुढ़ापे में माँ को प्यार न दे से , सेवा न कर सके वो महलों में रहते हुए भी सबसे ग़रीब है वो बेटा जो बुढ़ापे में माँ को प्यार न दे से , सेवा न कर सके वो महलों में रहते हुए...
तो दोस्तो कभी भी जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। तो दोस्तो कभी भी जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
वो आम के बगीचा था उसमे एक पेड़ था आम का जो हमेशा से हमारा प्यारा रहा है वो आम के बगीचा था उसमे एक पेड़ था आम का जो हमेशा से हमारा प्यारा रहा है