मैं प्रियंका दुबे 'प्रबोधिनी' गोरखपुर, उत्तर प्रदेश। मैं कलमकार हूँ।
तू बेहद भूलक्कड़ है तू बेहद भूलक्कड़ है
थामकर रिश्तों को रखते हाथ में, उन बुजुर्गों की कलाई देख ली। थामकर रिश्तों को रखते हाथ में, उन बुजुर्गों की कलाई देख ली।
मुझे बचालो मेरे पापा मैं तेरे दिल का टुकड़ा हूँ। मम्मा का बचपन है मुझमें, उसका ही सुं मुझे बचालो मेरे पापा मैं तेरे दिल का टुकड़ा हूँ। मम्मा का बचपन है मुझमें, ...
सच तुम छुओगे आसमान इक दिन वो यारा सुन तेरी तब हर रात ही दिवाली होगी। सच तुम छुओगे आसमान इक दिन वो यारा सुन तेरी तब हर रात ही दिवाली होगी।
सुनाऊँ हाल मैं दिल की कभी आओ तो गोकुल में, दिखाऊँ दर्द है कितना जरा ठहरो तो गोकुल में सुनाऊँ हाल मैं दिल की कभी आओ तो गोकुल में, दिखाऊँ दर्द है कितना जरा ठहरो तो ग...
मनाता नहीं अब मेरा हमसफर है। मनाता नहीं अब मेरा हमसफर है।
छेड़छाड़ चलता यहाँ, बदल रही तकदीर। छेड़छाड़ चलता यहाँ, बदल रही तकदीर।
बसे तुम दिल में जब से हो कहाँ रहता सही कुछ भी। बसे तुम दिल में जब से हो कहाँ रहता सही कुछ भी।
काश कि फिर मैं कॉफी मग से अपने हाथ सेंकती फिर अपने गरम हाथों से यूँ ही। .. काश कि फिर मैं कॉफी मग से अपने हाथ सेंकती फिर अपने गरम हाथों से यूँ...
भावों का सुंदर सा भरा पिटारा, कैसे लिखोगे ? एहसास सारा। भावों का सुंदर सा भरा पिटारा, कैसे लिखोगे ? एहसास सारा।