Sudha Singh 'vyaaghr'
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अहम ,स्वार्थ ,दुर्भावना, नहीं किसी के मित्र। पाना हो सम्मान यदि, उत्तम करो चरित्र।।

मन का भोज विचार है , तन का भोजन अन्न। शुचिता का जब वास हो, तन मन रहे प्रसन्न।।

धूप खुशियों की लिए, चमकेगा आकाश। छँट जाएँगे मेघ सभी, रखना मन विश्वास।।

निर्धारित तब जीत है , जब मन में उत्साह। लगन परिश्रम से दिखे, जीवन की हर राह ।।

सत्य जब मौन हो जाता है। तब असत्य शोर मचाने लगता है।। सुधा सिंह 'व्याघ्र'

वे जो इंसानियत की झंडाबरदारी करते हैं न.... अक्सर वे ही इंसानियत को तार- तार करते हैं... " सुधा सिंह 🦋

वही है सच्चा मित्र, जिसका उत्तम है चरित्र! ! मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं... सुधा सिंह 🦋

दूसरों की आँखों पर चढ़ा चश्मा न लगाया करो कुछ तो वजूद होगा तुम्हारा भी .

हम लड़खड़ाकर नीचे क्या गिरे दुनिया दर्शक बन मुस्कुरा उठी ✒️सुधा सिंह


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