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कितना आसान था पता मेरा, तूने खोजा मुझे कई सूरतों में कहीं। किरण वर्मा
हमें जीने का सलीक़ा न सीखा ऐ-दोस्त, ये ज़िन्दगी हमनें कई ख़्वाबों की क़ब्र पर जी है।
कभी -कभी रोटी की भूख सिर्फ़ दुनियादारी की राह समझती है, इश्क़ की सबक नहीं।