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ये बरसती बूँदें चोट लगाएंगी मुझे पिछले सावन की याद दिलाएंगी ये बरसती बूँदें चोट लगाएंगी मुझे पिछले सावन की याद दिलाएंगी
तन्हाइयों में अक़्सर बिखर जाती हूँ छुईमुई सी बनकर सिमट जाती हूँ। तन्हाइयों में अक़्सर बिखर जाती हूँ छुईमुई सी बनकर सिमट जाती हूँ।
अपने क़दमों को उठाये, मैं दर- दर घूमती-फिरती हूँ अपने क़दमों को उठाये, मैं दर- दर घूमती-फिरती हूँ
वो एक हसीन रात का मंज़र था चारों तरफ रोशनी थी और मुलायम-सा मेरा बिस्तर। वो एक हसीन रात का मंज़र था चारों तरफ रोशनी थी और मुलायम-सा मेरा बिस्तर।
तुम्हारे हाथों का स्पर्श अब भी मेरी तुम्हारे हाथों का स्पर्श अब भी मेरी