ये दिवाली नहीं, दिवाला है
ये दिवाली नहीं, दिवाला है
शगुन के नाम पर सोना चाँदी या बर्तन लाना
अलमारी भरी है लेकिन, नये कपड़े सिलवाना
पटाखे, दीपक, रंगीन लाइटें, सजावट खरीदना
उपहार को चॉकलेट, मिठाइयाँ, सूखे मेवे लाना
देखादेखी फिजूल खर्च ने, बजट हिला डाला है
क्या दिवाली ऐसी होती है, यह तो दिवाला है
पटाखों ने किया हर तरफ ज़हरीला वातावरण
सात दिनों तक कानों पर भारी ध्वनि प्रदूषण
दिवाली के बाद भी कई दिनों तक फैला धुंआ
अग्निकांडों में सैकड़ों जान, और माल स्वाहा
ज़हरीले धुएँ ने साँसों पर कैसा डाका डाला है
क्या दिवाली ऐसी होती है, यह तो दिवाला है
अपने 2 घर दुकान अंदर से साफ़ कर लिये
और गन्दगी सामने वाली, सड़कों पर भगाई
बाज़ार गली-मोहल्ले में कूड़े के ढेर बन गये
सड़न, बदबू, मच्छरों से, जान पर बन आई
घर 2 में चिकनगुनिया, डेंगू ने डेरा डाला है
क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है
चाँदी, मिठाई, घी, दूध, हर चीज में मिलावट
पटाखों और सजावट में, चाईनीज मिलावट
बाज़ारों में चलना, फिरना, खरीददारी दूभर
यातायात और बिजली के इन्तजाम बेअसर
अव्यवस्था का हर ओर बोलबाला है
क्या दिवाली ऐसी होती है, ये तो दिवाला है।।