हवा पानी
हवा पानी
कभी कभी मैं सोचने पर, मजबूर हो जाता हूँ,
हम कहाँ से चले थे और ये कहाँ आ पहुंचे हैं।
खासकर भारतीय शहरीकरण के माहौल में,
आज के युवा की सोच कितनी बदल गयी है।
उन दिनों भी हाईजिन, जरूर एक मुद्दा था,
पर सड़क किनारे खाने पीने से, परहेज नहीं था।
खाना खाने के लिए खासकर ढाबा ढूंढते थे,
पानी पीने को कहीं भी प्याऊ पर पी लेते थे।
सर्दियों में मूंगफली, गजक, खजूर, चिक्की,
गर्मियों में शरबत, ठंडाई, लस्सी, शिकंजी।
कुल्फी और मिठाइयाँ बड़े शौक से खाते थे,
इन्सान का वजन कोई ख़ास मुद्दा नहीं था।
आज लड़कियों में जीरो फिगर का ट्रेंड है,
और लड़कों में सिक्स पेक एब्स का चलन है।
आजकल ऑरगेनिक, लो फेट, लो कार्ब,
नो सुगर, नो कैफीन, रिच इन प्रोटीन।
ब्लेक कोफ़ी और ग्रीन टी का चलन है,
तले पकवानों को कार्डियक अरेस्ट कहते है
पिज़ा-पास्ता को केलोरी बम कहते है,
आज हर चीज को केलोरी से जोड़ा जाता है।
उस दिन की कल्पना अकल्पनीय नहीं लगती,
जब स्टोर में लो फेट पानी और हवा मिलेंगे।
होटल और रेस्टोरेंट वाले, अपना प्रचार करेंगे,
‘योगी’ यहाँ जीरो फेट, हवा पानी प्रयोग होता है।