अगर
अगर
अगर...
रात इतनी हसीन हो तो
शाम की आहट को पहचानेंगे कैसे ?
अगर...
ख्वाहिश उम्मीदों से सजे
और दिल में शहनाई बजे
तो अपने आप को
काबू में रख पाएँगे कैसे ?
अगर ...
आँखों से खुशी के आँसू बह जाए
दिल दरिया में सैलाब आ जाए
और होठों को बाहर चूम जाए
तो कोई कैसे खामोश रह पाए ?
अगर ...
ऐसा दीया कोई जलाए
जो मेरी तन्हाई को उजाला कर जाए
नस-नस में पागलपन छा जाए
तब होठों की चुप्पी
ज़माने से बहुत कुछ बोल जाए।।