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Lakshika Middha

Crime Tragedy

4.9  

Lakshika Middha

Crime Tragedy

मां मुझे अपने से दूर मत जाने

मां मुझे अपने से दूर मत जाने

2 mins
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मां तू मुझे अपने से दूर मत जाने दे 

कोक में तेरी इतना समय बताया है मैंने 

हर छोटी-बड़ी खुशियों से मिलाया है तूने

कुछ महीने और अपनी कोक में छुपा ले 

फिर अपने आंचल में बसा ले 

पर मुझे अपने से दूर मत जाने दे l


मां अभी-अभी तो तुझ में बसी हूं 

तेरी ममता का एक एहसास तो करने दे 

बाबा की राजदुलारी का आनंद उठाने दे 

कुछ समय और अपने सीने में बसा ले 

अपनी छोटी सी गुड़िया को दुल्हन की तरह सजा दे 

पर मुझे अपने से दूर मत जाने दे l


मां मुझे दादी की परियों की कहानियों में खो जाने दे

दादा की छड़ी और चश्मे साथ तो खेल लेने दे

याद है तो तूने नानी के हाथों के स्वाद की

तारीफ की थी कुछ स्वाद को तो चख लेने दे 

मुझे नाना के साथ शहर का चक्कर तो लगा लेने दे

ना पर मुझे अपने से दूर मत जाने दे l


मुझे भाई का लाडा चाचा का प्यार महसूस तो करने दे

मुझसे कोई भूल हो तो माफ कर भुला दे 

तेरी बेटी हूं पर बेटा होने का एक मौका तो दे दे 

कभी नहीं झुकने दूंगी तेरा और बाबा का सिर 

एक बार तो मुझ पर विश्वास करके दिखा दे 

पर मुझे अपने से दूर मत जाने दे l


मां अभी तो तेरे साथ अठखेलियां करने दे 

बाबा के साथ दुनिया की शेर तो करने दे 

गलतियों पर मुझे मारियो फिर सीने से लगा लियो

आखिर बेटी हूं तेरी अपनी नन्ही सी कली को 

इस जानलेवा दुनिया से बचा ले 

पर मुझे अपने से दूर मत जाने दे। 


मां आखिर मुझे मार कर क्यों तू

इस दरिंदे दुनिया का साथ दे गई अभी 

और जीना था मुझे और तू मेरा साथ ही छोड़ गई 

तूने तो उस विश्वास दिलाया था

मुझे कुछ नहीं होने देगी जब उस

सफेद कोटवाली ने तुझे गर्भवती बताया था


फिर क्यों बेटी होने की खबर पर 

तू अपने सारे वादे भूल गई ?

क्यों तुम मुझे सबसे बचाना पाई ?

तू मेरी पुकार तक ना सुन पाई मां

तू मेरी पुकार तक ना सुन पाई l


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