मुझे भीड़ नहीं बनना है
मुझे भीड़ नहीं बनना है
भीड़ नहीं बनना है मुझे, भीड़ नहीं बनना है
भीड़ जिसके लिए खड़ी है मुझे वो बनना है
कुछ अपने, कुछ सबके लिये, नया करना है
मुझे अपना अलग, मुकाम हासिल करना है
आज इन्सान लकीर का फकीर बन गया है
वो पका पकाया खाने का, आदी हो गया है
उसको सभाओं में बैठ कर, ताली पीटना है
लेकिन ये सब कुछ, मुझको नहीं करना है
मुझे ना किसी का इंतज़ार करना आता है
ना ही किसी को इंतज़ार करवाना भाता है
वक़्त से बेपरवाह संग, मुझे क्या करना है
मुझको अपना वक़्त बरबाद नहीं करना है
किसी चमत्कार का हिस्सा होना चाहता हूँ
मैं, अविष्कार का हिस्सा बनना चाहता हूँ
भीड़ संग बिना वजह यूं ही नहीं चलना है
मुझे, कोई भोगी नहीं, कर्मयोगी बनना है
भीड़ संग मुझे तमाशबीन भी नहीं बनना है
भीड़ से दूर, अपना मैं, मुझे जिंदा रखना है
भीड़ जिसके लिए खड़ी है मुझे वो बनना है
भीड़ नहीं बनना है मुझे, भीड़ नहीं बनना है