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Mani Aggarwal

Children Stories Drama Tragedy

4.9  

Mani Aggarwal

Children Stories Drama Tragedy

हाथ थाम लो न माँ

हाथ थाम लो न माँ

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तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता,

अपने पास बुला लो न माँ,

प्लीज, हाथ थाम लो न माँI


रोज प्यार से तुम अपने,

आँचल में मुझे छुपाती थीं,

मेरे हर सुख-दुःख को माँ,

तुम बिन बोले पढ़ जाती थींI

तुम्हें पता था मैं डरता हूँ,

बहुत तेरे न दिखने पर,

कभी अकेला छोड़ मुझे तुम,

दूर कहीं न जाती थींI

भूल हुई जो माफ करो,

आकर बाहों में फिर से झूला लो न माँ,

प्लीज...


मुझको गिरने कभी दिया न,

थाम सदा ही लेती थीं, 

कभी जो मैं थोड़ा रोया,

तुम मुझसे ज्यादा रोतीं थींI

मेरी खुशियों पर बलिहारी,

तुमने हर सुख चैन किया,

पर मेरे मुख पर कभी उदासी,

तुम आने न देतीं थींI

देखो कब से मैं रोता हूँ,

आकर चुप तो करा लो न माँ,

प्लीज…


आधी रोटी कम खाऊँ तो,

तुम व्याकुल हो जातीं थीं,

कर मनुहार हजारों मुझको,

भूख से ज्यादा खिलातीं थींI

जब भी, मैं तुम्हें पुकारूँ “माँ”,

खुशी से निहाल हो जातीं थी,

काम जरूरी छोड़ सभी,

मेरे पास दौड़ी चली आतीं थीं,

कब से भूखा तुम्हें पुकारूँ,

आकर जल्दी से कुछ बना लो न माँ

प्लीज...


सब कहते तुम नील गगन का,

तारा बननें चलीं गईं,

भगवान को भी अच्छी लगतीं थीं,

उनका प्यारा बनने चलीं गईंI

मैं तेरा छोटा-सा बच्चा, 

क्या तुझको अब न भाता था?

जो अपनी जान बना कर अब

यूँ बीच भँवर में छोड़ गईंI

भगवान से ज्यादा प्यार करूँगा,

सच्ची...कसम से, मान भी लो न माँ,

प्लीज…हाथ थाम लो न माँI


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